भीष्म पंचक व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत महाभारत से मानी जाती है। जब महाभारत के युद्ध के समय शरशैया पर शयन करते हुए सूर्य के उत्तरायण की प्रतिक्षा कर रहे थे। तब भगवान श्री कृष्ण पांचों पांडवों को लेकर उनके पास पहुंचे थे। ऐसे में युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह को उपदेश देने के लिए कहा था।
The beginning of the tradition of observing Bhishma Panchak fast is considered to be from the Mahabharata. During the war of Mahabharata, while sleeping on Sharshaiya, he was waiting for the Uttarayan of the sun. Then Lord Shri Krishna had reached him with the five Pandavas. In such a situation, Yudhishthira asked Bhishma Pitamah to preach.
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